भारत का सबसे भ्रष्टतम विभाग है
एनवायरनमेंट एंड पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड
भारत में पिछले २० वर्षों से प्रकितिक संसाधनों की जो लूट मची है, इस लूट के पीछे देश के पर्यावरण और पदूषण नियंत्रण बोर्ड का सबसे बड़ा हाथ है। भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का खुला खेल देखना हो तो इस विभाग के दस्तावेजों का अध्ययन किया जा सकता है।
भोपाल गैस त्रासदी के पश्चात इस विभाग के अधिकारों का दायरा बढ़ाये जाने के बाद तो मानों इसे भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का लाइसेंस ही मिल गया।
जिला स्तर से लगायत केंद्र स्तर तक के हर बड़े अधिकारियों - चेयरमैन, सेक्रेटरी, मेंबर सेक्रेटरी द्वरा ली जाने वाली रिश्वत की रकम प्रतिमाह 1 हज़ार करोड़ रुपये या इससे भी अधिक है। मेरी यह बात यह हवा में तीर मारने जैसी नहीं है, बल्कि मेरे पास इसके ठोस सबूत हैं। प्रधान मंत्री यदि चाहेंगे तो इस विभाग का सारा काला चिट्ठा मैं उनके सामने रख दूंगा।
एनवायरनमेंट और पॉल्युशन कंट्रोल के नाम पर किया जाने वाला भ्रष्टाचार का यह खेल न केवल देश के विकास की गति को प्रभावित कर रहा है बल्कि विकास के लिए खर्च की जाने वाली राशि की दुरूपयोगिता को भी बढ़ावा दे रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई बार फटकारे जाने के बावजूद भी यह विभाग कोर्ट के आदेशों की धज्जियाँ उड़ा रहा है। पिछले २० वर्षों से हर छोटी बड़ी औद्योगिक परियोजनाओं को अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने के नाम पर अलग-अलग हथकंडे अपनाकर रिश्वतखोरी को अंजाम देने में यह विभाग लगा हुआ है। एनवायरनमेंट एंड पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड के काले कारनामों को सीबीआई की मदद से उजागर किया जा सकता है।
हालाँकि इस विभाग के भ्रष्टाचार से सम्बंधित कुछ दस्तावेज सीबीआई के पास मौजूद भी हैं लेकिन सीबीआई किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है क्योंकि इस भ्रष्टाचार के तार बहुत ऊपर तक जुड़े हुए हैं। प्रधान मंत्री के हस्तक्षेप के बिना इस भ्रष्टाचार को उजागर करना सीबीआई के बस के भी बाहर की बात है।
अभी पिछले दिनों संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में घोषणा किया था कि पर्यावरण एवं वन विभाग को ४० हज़ार करोड़ रूपये की धनराशि आबंटित की जाएगी। यह सत्य है कि विकास के लिए धन की आवश्यकता होती है लेकिन जो विभाग भ्रष्टाचार और लूट-खसोट में आकंठ डूबा है उस विभाग को इतनी बड़ी धनराशि मुहैया कराना निसंदेह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है। यह सारा धन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने वाला है। प्रधान मंत्रीजी को स्वयं इस और जाने की आवश्यकता है। अपने इस पत्र के माध्यम से मैं प्रधान मंत्रीजी को सूचित कर रहा हूँ। प्रधान मंत्रीजी यदि चाहंै तो मैं इससे सम्बंधित कुछ जानकारियां दे सकता हूँ। यह खुले मंच से मेरी चुनौती भी है। पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड नामक भ्रष्टाचार रूपी दानव को अगर मिटाना है तो मेरी इस चुनौती को स्वीकार करना ही होगा।
भारत में पिछले २० वर्षों से प्रकितिक संसाधनों की जो लूट मची है, इस लूट के पीछे देश के पर्यावरण और पदूषण नियंत्रण बोर्ड का सबसे बड़ा हाथ है। भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का खुला खेल देखना हो तो इस विभाग के दस्तावेजों का अध्ययन किया जा सकता है।
भोपाल गैस त्रासदी के पश्चात इस विभाग के अधिकारों का दायरा बढ़ाये जाने के बाद तो मानों इसे भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का लाइसेंस ही मिल गया।
जिला स्तर से लगायत केंद्र स्तर तक के हर बड़े अधिकारियों - चेयरमैन, सेक्रेटरी, मेंबर सेक्रेटरी द्वरा ली जाने वाली रिश्वत की रकम प्रतिमाह 1 हज़ार करोड़ रुपये या इससे भी अधिक है। मेरी यह बात यह हवा में तीर मारने जैसी नहीं है, बल्कि मेरे पास इसके ठोस सबूत हैं। प्रधान मंत्री यदि चाहेंगे तो इस विभाग का सारा काला चिट्ठा मैं उनके सामने रख दूंगा।
एनवायरनमेंट और पॉल्युशन कंट्रोल के नाम पर किया जाने वाला भ्रष्टाचार का यह खेल न केवल देश के विकास की गति को प्रभावित कर रहा है बल्कि विकास के लिए खर्च की जाने वाली राशि की दुरूपयोगिता को भी बढ़ावा दे रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई बार फटकारे जाने के बावजूद भी यह विभाग कोर्ट के आदेशों की धज्जियाँ उड़ा रहा है। पिछले २० वर्षों से हर छोटी बड़ी औद्योगिक परियोजनाओं को अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने के नाम पर अलग-अलग हथकंडे अपनाकर रिश्वतखोरी को अंजाम देने में यह विभाग लगा हुआ है। एनवायरनमेंट एंड पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड के काले कारनामों को सीबीआई की मदद से उजागर किया जा सकता है।
हालाँकि इस विभाग के भ्रष्टाचार से सम्बंधित कुछ दस्तावेज सीबीआई के पास मौजूद भी हैं लेकिन सीबीआई किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है क्योंकि इस भ्रष्टाचार के तार बहुत ऊपर तक जुड़े हुए हैं। प्रधान मंत्री के हस्तक्षेप के बिना इस भ्रष्टाचार को उजागर करना सीबीआई के बस के भी बाहर की बात है।
अभी पिछले दिनों संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में घोषणा किया था कि पर्यावरण एवं वन विभाग को ४० हज़ार करोड़ रूपये की धनराशि आबंटित की जाएगी। यह सत्य है कि विकास के लिए धन की आवश्यकता होती है लेकिन जो विभाग भ्रष्टाचार और लूट-खसोट में आकंठ डूबा है उस विभाग को इतनी बड़ी धनराशि मुहैया कराना निसंदेह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है। यह सारा धन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने वाला है। प्रधान मंत्रीजी को स्वयं इस और जाने की आवश्यकता है। अपने इस पत्र के माध्यम से मैं प्रधान मंत्रीजी को सूचित कर रहा हूँ। प्रधान मंत्रीजी यदि चाहंै तो मैं इससे सम्बंधित कुछ जानकारियां दे सकता हूँ। यह खुले मंच से मेरी चुनौती भी है। पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड नामक भ्रष्टाचार रूपी दानव को अगर मिटाना है तो मेरी इस चुनौती को स्वीकार करना ही होगा।